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Ganesh ji ki kahani | गणेश जी की कहानी

Ganesh ji ki kahani | गणेश जी की कहानी

Ganesh ji ki kahani | गणेश जी की कहानी

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Shri Ganesh Aur Budhiya Mai Ki Kahani

बेचारी बुढ़िया के बनाए गणेश जी (Ganesh Ji) रोज गल जाते थे। उसके घर के सामने एक सेठजी का मकान बन रहा था। बुढ़िया मांई सेठजी के मकान पर जाकर मकान बनाने वाला कारीगर से बोली- ‘ भाई। मेंरे मिट्टी के बनाए गणेशजी रोज़ गल जाते हैं। आप मेरी पूजा के लिए पत्थर से एक गणेशजी बना दो, आप की बड़ी कृपा होगी।’

‘मकान बनाने वाला कारीगर बोला- ‘माई! जितनी देर में तुम्हारे लिए गणेश जी बनाएंगे उतनी देर में तो सेठजी की दिवार पुरी कर देंगे। ‘बुढिया यह सुनकर दु:खी मन से अपने घर वापिस आ गई। दिवार पुरी करते- करते शाम हो गई परंतु दिवार बनने से पहले ही टेढ़ी हो जाएं।

शाम को सेठजी आए और पूछा कि आज कुछ काम नहीं किया? तब मकान बनाने वाला कारीगर ने बुढ़िया वाली बात बताई। तब सेठजी ने बुढ़िया मांई से जाकर कहा- ‘ ‘माई! तुम हमारी दिवार सीधी कर दो तो हम तुम्हें सोने के गणेश जी बनवा देंगे।” गणेश जी ने यह सुनते ही सेठ जी की दीवार सीधी कर दी। सेठी जी ने बुढ़िया माई को पूजा के लिए सोने के गणेश जी बनवा कर दिए। गणेश जी को पाकर बुढ़िया माई बहुत प्रसन्न हुई।

यह गणेश जी की कथा

यह गणेश जी की कथा है जिसे किसी भी व्रत या अन्य किसी कथा को सुनने के बाद अनिवार्य रूप से सुना जाता है। गणेश जी की पूजा के उपरान्त विनायक जी की कथा/गणेश जी की कथा को सुनना अत्यंत ही शुभ होता है।

एक बार गणेश जी महाराज एक सेठ जी के खेत में से जा रहे थे तो उन्होंने बारह दाने अनाज के तोड़ लिए। फिर गणेश जी के मन में पछतावा हुआ कि मैंने तो सेठ जी के यहां चोरी कर ली ।  तो गणेश जी सेठ जी के बारह साल की नौकरी करने लग गए। एक दिन सेठानी  राख से हाथ धोने लगी तो  गणेश जी ने  सेठानी का हाथ  पकड़ कर मिट्टी से हाथ  धुला दिया। सेठानी सेठ जी से बोली कि  ऐसा क्या नौकर रखा है नौकर होकर उसने मेरा हाथ  पकड़ लिया। सेठ जी  ने गणेश को बुलाकर पूछा कि तुमने  सेठानी का हाथ क्यों पकड़ा।

तो गणेश जी ने बोला कि मैंने तो एक सीख की बात बताई है। राख से हाथ धोने से घर की लक्ष्मी  नाराज होकर घर से चली जाती है और  मिट्टी से हाथ धोने से आती है। सेठ जी ने सोचा कि गणेश  है तो  सच्चा । थोड़े दिनों बाद कुंभ का मेला आया। सेठ जी ने कहा गणेश सेठानी को कुंभ के मेले में स्नान कराके ले आओ ।

सेठानी किनारे पर बैठकर नहा रही थी तो गणेश जी उनका हाथ पकड़कर आगे डुबकी  लगवा लाये। घर आकर सेठानी ने सेठ से कहा कि  गणेश ने तो मेरी इज्जत ही नहीं रखी और इतने सारे आदमियों के बीच में मुझे घसीट कर आगे पानी में ले गए। तब सेठ जी ने गणेश जी को पूछा कि ऐसा क्यों किया तो गणेश जी ने कहा कि  सेठानी किनारे बैठकर गंदे पानी से नहा रही थी ।

तो मैं आगे अच्छे पानी में  डुबकी लगवाकर ले आया। इससे अगले जन्म में  बहुत बड़े राजा और राजपाट मिलेगा। सेठ जी ने सोचा कि गणेश  है तो सच्चा। एक दिन घर में पूजा पाठ हो रही थी।  हवन हो रहा था।  सेठ जी ने गणेश  को कहा की जाओ सेठानी को बुलाकर ले आओ ।

गणेश सेठानी को बुलाने गया तो सेठानी काली चुनरी ओढ़ कर चलने लगी तो गणेश जी ने काली चुनरी फाड़ दी और कहा कि लाल चुनरी ओढ़ के चलो। सेठानी नाराज होकर सो गई सेठ जी ने आकर पूछा क्या बात है तो सेठ ने बोला कि गणेश ने मेरी चुनरी फाड़ दी। सेठ जी ने गणेश को बुलाकर बहुत डांटा और कहा तुम बहुत बदमाशी करते हो । तो गणेश जी ने कहा पूजा पाठ में काला वस्त्र नहीं पहनते हैं इसलिए मैंने लाल वस्त्र के लिए  कहा ।

काला वस्त्र पहनने से कोई भी  शुभ काम सफल नहीं होता है। फिर  सेठजी ने सोचा कि गणेश है तो समझदार । एक दिन   सेठजी पूजा करने लगे तो पंडित जी ने बोला की वो गणेश जी की मूर्ति लाना भूल गया। अब क्या करें ?तो गणेश जी ने बोला कि मेरे को ही मूर्ति बनाकर विराजमान कर लो ।

आपके सारे काम सफल हो जाएंगे। यह बात सुनकर सेठ जी को भी बहुत गुस्सा आया। और वो बोले कि तुम तो अब तक सेठानी से ही मजाक करते थे मेरे से भी करने लग गए । तो गणेश जी ने कहा मैं मजाक नहीं कर रहा हूं।

मैं सच बात कह रहा हूं। इतने में ही गणेश  ने गणेश जी का रूप धारण कर लिया । और सेठ और सेठानी ने ही गणेश जी की पूजा की। पूजा खत्म होते ही गणेश जी अंतर्धान हो गए। सेठ सेठानी को बहुत धोखा हुआ और उन्होंने कहा कि  हमारे पास तो गणेश जी रहते थे और हमने उनसे इतना काम कराया।

तो गणेश जी ने सपने में आकर सेठ जी को कहा कि आप के खेत में से मैंने बारह अनाज के दाने तोड़ लिए थे। उसी का दोष उतारने के लिए मैंने आपके यहां काम किया था । सेठ जी के करोड़ों की माया हो गई । हे गणेश जी महाराज जैसा सेठजी को दिया वैसा सबको देना। कहते को सुनते को और सारे परिवार को दे देना।

लोग पूछते भी हैं?

गणेश जी किसका रूप है?

गणेश को वेदों में ब्रह्मा, विष्णु, एवं शिव के समान आदि देव के रूप में वर्णित किया गया है। इनकी पूजा त्रिदेव भी करते हैं। भगवान श्री गणेश सभी देवों में प्रथम पूज्य हैं। शिव के गणों के अध्यक्ष होने के कारण इन्हें गणेश और गणाध्यक्ष भी कहा जाता है।

गणेश को क्या पसंद है?

गणेश, या गणपति, को मिठाई का भोग लगाया जाता है, मुख्य मोदक है , जिसे उनकी पसंदीदा मिठाई माना जाता है। फूल, चावल, नारियल, गुड़ और सिक्के भी चढ़ाए जाते हैं।

चूहा किसका प्रतीक है?

चूहा भले ही बुद्धि के देवता गणेश की सवारी है लेकिन उसे अज्ञानी शक्तियों का प्रतीक माना जाता है. लिहाजा घर में ज्‍यादा संख्‍या में चूहों की मौजूदगी घर के लोगों की बुद्धि के विनाश और नकारात्‍मक सोच का कारण बनती है. लिहाजा घर में बहुत ज्‍यादा संख्‍या में चूहे न होने दें, वरना यह घर के लोगों की बुद्धि भ्रष्‍ट कर देंगे.

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